Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -09-May-2022 नाव और इंसान (काल्पनिक कविता)

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-नाव और इंसान (काल्पनिक कविता)

मैं बैठी थी एक साहिल पर
सोचा जिंदगी में क्या ख्वाब है

देखा एक नाव को
उसे देख कर ऐसा लगा
जिंदगी एक नाव है

नाव को आगे बढ़ाती हैं पतवार 
मुझे आगे बढ़ाएं जिंदगी
जिंदगी ही एक पतवार है
चप्पू चलाकर नाव को
देता रफ्तार है

नाव के सामने थपेड़े खाती हुई लहर
इस तरह है
जैसे मानो जिंदगी एक कांटो की राह है

नाव को पार कराने वाला
कहलाता है केवट
जिंदगी में दुख की मंजिल को
पार करने वाला कहलाता है राहगीर

नाव में बैठा व्यक्ति कहलाता है मांझी
जिंदगी के साथ चलने वाला कहलाता है इंसान
जिंदगी की तरफ चलने वाला
साधन है नाव

जिसे चाहो तो
थपेड़े खाते हुए लहरों के आगे झुक जाओ
या फिर  थपेड़े खाते हुए अपनी मंजिल को बनाते रहो
वही है जिंदगी का हमसफर

जो लहरों के थपेड़े खाकर
जीत लेता है अपनी मंजिल
वही होता है सच्चा राहगीर।

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16 Comments

Soniya bhatt

11-May-2022 07:10 PM

👌👌

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Archita vndna

10-May-2022 09:34 PM

बहुत खूब

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Haaya meer

10-May-2022 06:20 PM

Amazing

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